उज्जैन में पहली बार सिख गुरु साहिबान के शस्त्रों और पुरातन निशानियों के दर्शन।

उज्जैन में पहली बार सिख गुरु साहिबान के शस्त्रों और पुरातन निशानियों के दर्शन।

उज्जैन के सिख समुदाय को आज एक ऐतिहासिक अवसर मिला, जब गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा दूधतलाई में सिख गुरु साहिबान के पवित्र शस्त्रों और पुरातन निशानियों के दर्शन कराए गए। सिख पंथ के प्रसिद्ध गुरमत प्रचारक डॉ. भगवा सिंह खोजी अपने साथियों के साथ इन अमूल्य निशानियों को लेकर उज्जैन पहुंचे। इस विशेष अवसर पर गुरु हरगोबिंद साहिब जी की कृपाण और कटा, गुरु साहिब का करमंडल साहिब और ढाल, साथ ही गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा स्वर्ण स्याही से लिखी गई पवित्र पुस्तक और हुकुमनामा, जग माता गंगा जी और पीढ़ा माता दामोदर जी की निशानियां भी प्रदर्शित की गईं।
गुरुद्वारा गुरु सिंघ सभा दूधतलाई के अध्यक्ष इकबाल सिंह गांधी ने बताया कि यह आयोजन शहर में पहली बार हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोगों ने पहुंचकर दर्शन का लाभ उठाया। इस दौरान समाज के लोगों को इन पवित्र वस्तुओं के ऐतिहासिक महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई।
नानकशाही सिक्का: एक रहस्यमयी धरोहर
इसी दौरान, उज्जैन के सिख समाज के प्रवक्ता एस.एस. नारंग ने अपने परिवार की एक अनमोल धरोहर, सन 1804 का नानकशाही सिक्का सबके साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि यह सिक्का उनके पिता हरचरण सिंह नारंग को स्वर्ण मंदिर अमृतसर में उस समय मिला था, जब वे पाठ कर रहे थे। किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनकी हथेली पर यह सिक्का रखा और उनके सिर पर हाथ फेरा, और जब उन्होंने आंखें खोलीं तो वहां कोई नहीं था।
अपने अंतिम समय में हरचरण सिंह नारंग ने परिवार को बताया था कि उन्हें यह नानकशाही सिक्का प्राप्त हुआ था, लेकिन वह मिल नहीं रहा है। परिवार को यह सिक्का कुछ समय पहले ही उनके सामान में मिला है। एस.एस. नारंग ने यह भी बताया कि उनके पिता के पास वर्ष 1957 की ज्ञानी की डिग्री थी, जो पंजाब से बाहर के कुछ ही निवासियों के पास थी।

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